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वो रंग प्यार के थे

About the Book:

“वो रंग प्यार के थे” दिल को छू लेने वाली भावनाओं की अभिव्यक्ति है जिसे लेखक ने शब्दों के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। इस संकलन की कविताएं जीवन के अनकहे एहसासों, गहरे अनुभवों और लेखक की कल्पनाओं का सम्मिश्रण हैं जो पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।

About the Author:

मनोज कृष्णन एशियन लिटरेरी सोसाइटी (एएलएस) के संस्थापक हैं जो दुनिया भर के हजारों पाठकों, लेखकों और कवियों का समुदाय है। वह “कनिष्का” उपन्यास, कविता संग्रह-“द फ्रेगरेंस ऑफ नेचर एंड लव”, “इन्चेंटिंग कोरिया”, “सांग ऑफ़ साइलेंस”, “मैं शिव बन जाऊँगा”, “नागमणि दर्शन”, एवं “वो धुआं कुछ रौशन था” के लेखक हैं। उन्होंने कविताओं और लघु कथाओं की तीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों का संपादन किया है।

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About the Book:

“वो रंग प्यार के थे” दिल को छू लेने वाली भावनाओं की अभिव्यक्ति है जिसे लेखक ने शब्दों के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। इस संकलन की कविताएं जीवन के अनकहे एहसासों, गहरे अनुभवों और लेखक की कल्पनाओं का सम्मिश्रण हैं जो पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।

About the Author:

मनोज कृष्णन एशियन लिटरेरी सोसाइटी (एएलएस) के संस्थापक हैं जो दुनिया भर के हजारों पाठकों, लेखकों और कवियों का समुदाय है। वह “कनिष्का” उपन्यास, कविता संग्रह-“द फ्रेगरेंस ऑफ नेचर एंड लव”, “इन्चेंटिंग कोरिया”, “सांग ऑफ़ साइलेंस”, “मैं शिव बन जाऊँगा”, “नागमणि दर्शन”, एवं “वो धुआं कुछ रौशन था” के लेखक हैं। उन्होंने कविताओं और लघु कथाओं की तीस से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलनों का संपादन किया है।

Weight 250 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 2 in

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